इज़राइल-ईरान संघर्ष के बाद ट्रंप ने किया युद्धविराम का ऐलान
24 जून 2025 | लेखक: मोबिन खान
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 24 जून को एक आश्चर्यजनक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की कि इज़राइल और ईरान के बीच “पूर्ण और समग्र युद्धविराम” लागू हो गया है। यह ऐलान एक हफ्ते तक चले मिसाइल और ड्रोन हमलों के बाद आया, जिसने पूरे मध्य पूर्व को युद्ध की कगार पर पहुँचा दिया था।
युद्ध कैसे भड़का?
इस संघर्ष की शुरुआत इज़राइल द्वारा ईरान के नतान्ज और इस्फहान के पास सैन्य ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों से हुई। इसके जवाब में, ईरान ने उत्तरी इज़राइल के कई इलाकों पर मिसाइलें दागीं। दोनों देशों ने दावा किया कि उन्होंने दुश्मन को “काफी नुकसान” पहुँचाया, लेकिन वैश्विक समुदाय ने तत्काल संघर्षविराम की मांग की।
ट्रंप की मध्यस्थता और बयान
व्हाइट हाउस में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका ने एक पूर्ण युद्धविराम के लिए दोनों पक्षों के बीच समझौता करवा दिया है। यह राजनयिक प्रयासों की शक्ति का प्रतीक है।”
उन्होंने बताया कि अब ड्रोन हमले, साइबर ऑपरेशन और मिसाइल लॉन्च पूरी तरह से बंद कर दिए गए हैं। इस समझौते में स्विट्जरलैंड और ओमान के राजनयिकों की बड़ी भूमिका रही है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
- यूरोपीय संघ: EU के विदेश मामलों के प्रमुख जोसेप बोरेल ने इस पहल की सराहना की और कहा कि "अब स्थायी समाधान की दिशा में प्रयास होने चाहिए।"
- सऊदी अरब और UAE: दोनों देशों ने इस संघर्षविराम को “मध्य पूर्व की स्थिरता के लिए एक जरुरी कदम” बताया।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इस युद्धविराम का स्वागत किया और कहा कि यह क्षेत्रीय शांति के लिए सकारात्मक संकेत है। विदेश मंत्रालय ने कहा, “भारत हमेशा कूटनीति और संवाद के पक्ष में रहा है।”
आर्थिक असर
- ब्रेंट क्रूड की कीमतें $70 प्रति बैरल से नीचे आ गई हैं।
- एशियाई और अमेरिकी शेयर बाजारों में उछाल दर्ज किया गया।
- डिफेंस स्टॉक्स में गिरावट आई, जबकि ऊर्जा कंपनियों के शेयर बढ़े।
विशेषज्ञों की राय
सेना और राजनयिक मामलों के जानकारों का मानना है कि यह संघर्षविराम केवल एक “रणनीतिक विराम” हो सकता है, न कि स्थायी शांति। यदि कोई भी पक्ष समझौते का उल्लंघन करता है, तो हालात फिर बिगड़ सकते हैं।
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निष्कर्ष
ट्रंप द्वारा घोषित यह युद्धविराम फिलहाल राहत की सांस देने वाला कदम है। हालांकि, इसके स्थायित्व पर सवाल बना रहेगा जब तक कि दोनों देशों के बीच विश्वास की बहाली नहीं होती।
Sources: Reuters, The Guardian, Al Jazeera

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